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वो धुन हैं हम जिसे कोयल ने गाके छोड़ दिया
गुलाब, ऐसे ही खिलते है हैं हम किसीने ज्यों
दिया जला के मुक़ाबिल हवा के छोड़ दिया
<poem>
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