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"कभी दो क़दम, कभी दस क़दम, कभी सौ क़दम भी निकल सके / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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मेरी ज़िन्दगी है बुझी-बुझी, मेरे दिल का साज़ उदास है | मेरी ज़िन्दगी है बुझी-बुझी, मेरे दिल का साज़ उदास है | ||
− | कभी इसको ऐसी खनक तो दे, तेरे | + | कभी इसको ऐसी खनक तो दे, तेरे घुँघरुओं पे मचल सके |
जो खिले थे प्यार के रंग सौ, कभी पँखुरियों में गुलाब की | जो खिले थे प्यार के रंग सौ, कभी पँखुरियों में गुलाब की | ||
उन्हें यों हवा ने उड़ा दिया, कि पता भी आज न चल सके | उन्हें यों हवा ने उड़ा दिया, कि पता भी आज न चल सके | ||
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02:59, 7 जुलाई 2011 का अवतरण
कभी दो क़दम, कभी दस क़दम, कभी सौ क़दम भी निकल सके
मेरे साथ उठके चले तो वे, मेरे साथ-साथ न चल सके
तुझे देखे परदा उठाके जो किसी दूसरे की मजाल क्या!
ये तो आईने का कमाल है कि हज़ार रंग बदल सके
तेरे प्यार में है पहुँच गया, मेरा दिल अब ऐसे मुकाम पर
कि न बढ़ सके, न ठहर सके, न पलट सके, न निकल सके
मेरी ज़िन्दगी है बुझी-बुझी, मेरे दिल का साज़ उदास है
कभी इसको ऐसी खनक तो दे, तेरे घुँघरुओं पे मचल सके
जो खिले थे प्यार के रंग सौ, कभी पँखुरियों में गुलाब की
उन्हें यों हवा ने उड़ा दिया, कि पता भी आज न चल सके