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"चैन न आया दिल को घड़ी भर, हरदम वार पे वार हुए / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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तीर तो थे तरकश में हज़ारों, चल भी गए कुछ चल न सके | तीर तो थे तरकश में हज़ारों, चल भी गए कुछ चल न सके |
03:03, 7 जुलाई 2011 का अवतरण
चैन न आया दिल को घड़ी भर, हरदम वार पे वार हुए
आपने प्यार का खेल किया हो, हम तो बहुत बेज़ार हुए
तीर तो थे तरकश में हज़ारों, चल भी गए कुछ चल न सके
टूट के उन क़दमों पे गिरे कुछ, कुछ हैं दिलों के पार हुए
हम न रहे तो कौन भला ये शोख़ अदायें देखेगा!
बाग़ की सब रंगत है हमीं से फूल भले ही हज़ार हुए
एक हमीं को क्यों दुनिया ने दीवाने का नाम दिया
जब कि हमारी हर धड़कन में आप भी हिस्सेदार हुए!
अपनी पँखुरियों को छितराकर, आज गुलाब ये कहता था,
'खूब जिन्हें खिलना हो खिले अब, हम तो हवा पे सवार हुए'