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+ | बस यही तो थी हमारी कहानी ,,, | ||
+ | दूर जाता दिखता है उधर , | ||
+ | कुए का पानी बिकता है किधर , | ||
+ | नीला समुन्द्र रहा न अब नीला , | ||
+ | धानी रंग बचा न अब पूरा , | ||
+ | आश्मां ने भी बदल लिए अपने रंग हैं | ||
+ | जाने किस बात का हो गया है असर , | ||
+ | पेड़ो पर से उठ गया हैं ठिकाना , | ||
+ | इंसानों ने जो काट के पेड़ो को , | ||
+ | अपना घर है जो बनाया , | ||
+ | जब मिला न हमें कही भी ठिकाना | ||
+ | तभी तो हमने भी तेरे आशियाने को अपना आशियाना है बनाया , | ||
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+ | सुनकर उस परिंदे की दस्ता , | ||
+ | हो गया भावुक इन्सान वो , | ||
+ | और सोचने लगा मन ही मन वो , | ||
+ | दोष नहीं है इसका कोई , | ||
+ | भोग रहा हैं हमारी ही गलतियों का नतीजा बेजुबान ये ........."'''मोटा पाठ''' |
09:29, 7 जुलाई 2011 का अवतरण
jab nav jal main chod di, toofan main hi mod di, de di chunoti sindhu ko phir dhar kya majhdhar kya..
plz tell me the name of the kavi n full kavita..
Abhinav e-mail roughsoul@gmail.com
मेरे आशियाने में है , आशियाना ये किसका ?
"एक दिन एक इंसान ने , देखा आशियाना एक परिंदे का अपने आशियाने में ,, वो बोला उस परिंदे से , मेरे आशियाने में है , आशियाना ये किसका , "एक दिन एक इंसान ने , साफ दिख रहा है , मुझे फसाना उसका , देखा आशियाना एक परिंदे का अपने आशियाने में ,, वो बोला उस परिंदे से , मेरे आशियाने में है , आशियाना ये किसका , साफ दिख रहा है , मुझे फसाना उसका , कभी इधर , कभी उधर , तकते नयना जाने किधर ,
सुना परिंदे ने इस बात को , रह सका न खामोश वो , सुनाई कुछ इस तरह अपनी दश्तान को ,,, वो बोला ,, ठंडी हवा से सुकून लेके , धरा से जीवन आसमां से पानी , था नीला समंदर वो , और पेड़ो से थी हरियाली ,, बस यही तो थी हमारी कहानी ,,, दूर जाता दिखता है उधर , कुए का पानी बिकता है किधर , नीला समुन्द्र रहा न अब नीला , धानी रंग बचा न अब पूरा , आश्मां ने भी बदल लिए अपने रंग हैं जाने किस बात का हो गया है असर , पेड़ो पर से उठ गया हैं ठिकाना , इंसानों ने जो काट के पेड़ो को , अपना घर है जो बनाया , जब मिला न हमें कही भी ठिकाना तभी तो हमने भी तेरे आशियाने को अपना आशियाना है बनाया ,
सुनकर उस परिंदे की दस्ता , हो गया भावुक इन्सान वो , और सोचने लगा मन ही मन वो , दोष नहीं है इसका कोई , भोग रहा हैं हमारी ही गलतियों का नतीजा बेजुबान ये ........."मोटा पाठ