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"आँखों-आँखों मुस्कुराना ख़ूब है / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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हर क़दम पर, हर घड़ी हो साथ-साथ | हर क़दम पर, हर घड़ी हो साथ-साथ |
00:21, 9 जुलाई 2011 के समय का अवतरण
आँखों-आँखों मुस्कुराना ख़ूब है!
प्यार यह हमसे छिपाना खूब है!
एक ठोकर और प्याला चूर-चूर
लौट जाने का बहाना ख़ूब है!
बेकहे आये, चले भी बेकहे
ख़ूब था आना, ये जाना ख़ूब है!
हर क़दम पर, हर घड़ी हो साथ-साथ
सामने फिर भी न आना ख़ूब है!
भूल है अपना समझ लेना गुलाब
रंग उन आँखों में, माना, ख़ूब है!