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"प्यार हुआ ऐसे तो नहीं / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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राह किधर भी जाय मगर | राह किधर भी जाय मगर |
00:49, 9 जुलाई 2011 का अवतरण
प्यार हुआ ऐसे तो नहीं
दिल है कहीं, नज़रें हैं कहीं
ये भी बहारें खूब रहीं
फूल खिले हैं, तुम ही नहीं
हमको कभी दर्शन तो मिले
वे भी, सुना, रहते हैं यहीं
राह किधर भी जाय मगर
दिल तो पहुँच जाता है वहीं
रंग तो चाहिए सबको, गुलाब!
प्यार की टीसें किसने सही!