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"यों तो परदे नज़र के रहे / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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याद कर भी तो लो, दोस्तो!  
 
याद कर भी तो लो, दोस्तो!  
हम भी साथी सफ़रके रहे
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हम भी साथी सफ़र के रहे
  
 
चलते-चलते कटी ज़िन्दगी
 
चलते-चलते कटी ज़िन्दगी

01:10, 9 जुलाई 2011 का अवतरण


यों तो परदे नज़र के रहे
प्यार हम उनसे करके रहे

वे न भूलेंगे वादा मगर
उम्र भर कौन मरके रहे

याद कर भी तो लो, दोस्तो!
हम भी साथी सफ़र के रहे

चलते-चलते कटी ज़िन्दगी
फ़ासिले हाथ भर के रहे

कौन पत्तों में देखे, गुलाब!
लाख तुम बन-सँवरके रहे