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"यों तो अनजान लगता रहे / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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ख़ून का ही हमारे क़सूर
 
ख़ून का ही हमारे क़सूर
हाथ क्यों उनके रंगता रहे
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हाथ क्यों उनके रँगता रहे
  
 
कोई आयेगा तड़के गुलाब!
 
कोई आयेगा तड़के गुलाब!
 
दिल से कह दो कि जगता रहे
 
दिल से कह दो कि जगता रहे
 
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01:12, 9 जुलाई 2011 का अवतरण


यों तो अनजान लगता रहे
प्यार उस दिल में जगता रहे

कैसा दुश्मन कि सर काट ले
और प्यारा भी लगता रहे!

हम तो मरते हैं इस झूठ पर
उम्र भर कोई ठगता रहे

ख़ून का ही हमारे क़सूर
हाथ क्यों उनके रँगता रहे

कोई आयेगा तड़के गुलाब!
दिल से कह दो कि जगता रहे