भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"यों तो होँठों से कुछ न कहता है / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल |संग्रह=कुछ और गुलाब / गुलाब खंडे…)
 
(कोई अंतर नहीं)

01:53, 9 जुलाई 2011 के समय का अवतरण


यों तो होँठों से कुछ न कहता है
प्यार नज़रों में उसकी रहता है

उसके वादे का एतबार किया
यह समझकर कि झूठ कहता है

कौन समझेगा दिल की बेताबी
ख़ून आँखों से जब न बहता है!

प्यार की हर सज़ा क़बूल हमें
दिल तेरी बेरुख़ी न सहता है

कोई मिलता नहीं हो तुझसे, गुलाब!
फिर भी अनजान नहीं रहता है