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"हमारे सुर से किसीका सिँगार हो तो हो / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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02:28, 9 जुलाई 2011 का अवतरण
हमारे सुर से किसीका सिँगार हो तो हो
खिलेंगे हम न कभी, अब बहार हो तो हो
उन्होंने आज हमें मुस्कुराके देख लिया
इस एक बात की चर्चा हज़ार हो तो हो
दुबारा फिर कभी आँखों में रंग आता नहीं
नज़र का खेल है बस एक बार हो तो हो
सिवा तुम्हारे कोई मन में दूसरा न रहे
भले ही थोड़ा-सा दुनिया से प्यार हो तो हो
मिलेगा चैन तो धरती की गोद में ही हमें
नज़र की दौड़ सितारों के पार हो तो हो
बसी है दिल में तो उनके गुलाब की ख़ुशबू
गले में और भी फूलों का हार हो तो हो