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"सदस्य:Madhur sharma" के अवतरणों में अंतर

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(परवाह नहीं)
 
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19:58, 16 जुलाई 2011 के समय का अवतरण

परवाह नहीं है अब अंजाम क्या होगा अब तो रण का समय है आगाज़ होगा हम पर ऊँगली उठाई तो इस बार हाथ नहीं काटेंगे गर्दन उखाड़ देंगे जवाब वो होगा

    जितना जी सके जियें,इस मात्रभू  के लिए 
     फिर मिट जाये वतन के वास्ते 
      अंदाज़ वो होगा  .......