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"जीवन यों  ही बीत गया / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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[[Category:गीत]]
 
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जीवन यों  ही बीत गया
 
पिया न आप, न दिया किसी को, प्याला रीत गया
 
 
 
बूँद-बूँद कर जोड़ा जो मधु सारी आयु सँजोया
 
एक तनिक-सी ठोकर से ही उसे निमिष में खोया 
 
देख रहा हूँ मैं विस्मित-सा, कहाँ अतीत गया 
 
 
 
कभी एक पल को माना, प्रिय सपना सत्य हुआ था
 
जब तेरे अधरों से लगकर मन कृतकृत्य हुआ था 
 
किन्तु दूसरे ही क्षण कोई बाजी जीत गया 
 
 
 
अब न कभी लौटेंगे वे दिन, वे पहले-सी रातें
 
मेघ घिरेंगे पर न फिरेंगी वे रसमय बरसातें 
 
जाने कहाँ भुलावा देकर मन का मीत गया!  
 
 
जीवन यों  ही बीत गया
 
पिया न आप, न दिया किसी को, प्याला रीत गया
 
<poem>
 

02:38, 17 जुलाई 2011 के समय का अवतरण