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"कहाँ है ओ अनंत के वासी / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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कहाँ है, ओ अनंत के वासी ? | कहाँ है, ओ अनंत के वासी ? | ||
− | तू मन मे | + | तू मन मे है फिर भी आँखे हैं दर्शन की प्यासी |
− | प्रेम | + | प्रेम-भक्ति के तार भले ही मैंने तुझ से बाँधे |
− | रह- | + | रह-रहकर उठ रहे विवादी सुर भी उनसे आधे |
नयनों के सम्मुख दिखती है मुझको अंध गुफा-सी | नयनों के सम्मुख दिखती है मुझको अंध गुफा-सी | ||
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नियम नियामक दोनों तू नियमों का हो दृढ पालक | नियम नियामक दोनों तू नियमों का हो दृढ पालक | ||
पर न नियम क्या बने क्षमा के, भूल करे यदि बालक | पर न नियम क्या बने क्षमा के, भूल करे यदि बालक | ||
− | गिरते पड़ते भी जो तुझ तक आने का अभिलाषी ? | + | गिरते-पड़ते भी जो तुझ तक आने का अभिलाषी ? |
कहाँ है, ओ अनंत के वासी ? | कहाँ है, ओ अनंत के वासी ? | ||
− | तू मन मे | + | तू मन मे है फिर भी आँखे हैं दर्शन की प्यासी |
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02:05, 20 जुलाई 2011 के समय का अवतरण
कहाँ है, ओ अनंत के वासी ?
तू मन मे है फिर भी आँखे हैं दर्शन की प्यासी
प्रेम-भक्ति के तार भले ही मैंने तुझ से बाँधे
रह-रहकर उठ रहे विवादी सुर भी उनसे आधे
नयनों के सम्मुख दिखती है मुझको अंध गुफा-सी
कितनी बार परस तेरा मैंने मस्तक पर पाया
कितनी बार डूबते मुझको तू तट पर ले आया
फिर भी क्यों हटती न हटाये चिंता की गलफाँसी ?
नियम नियामक दोनों तू नियमों का हो दृढ पालक
पर न नियम क्या बने क्षमा के, भूल करे यदि बालक
गिरते-पड़ते भी जो तुझ तक आने का अभिलाषी ?
कहाँ है, ओ अनंत के वासी ?
तू मन मे है फिर भी आँखे हैं दर्शन की प्यासी