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"द्वारिका में जब कोयल बोली / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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वृन्दावन के कुंज, लतायें | वृन्दावन के कुंज, लतायें | ||
सोचा-- 'अबकी ब्रज में जायें | सोचा-- 'अबकी ब्रज में जायें | ||
− | पुन: खेलने होली | + | पुन: खेलने होली |
'कितनी पुलक उठेगी मैया! | 'कितनी पुलक उठेगी मैया! | ||
दौड़ मिलेंगे प्रिय 'बल भैया' | दौड़ मिलेंगे प्रिय 'बल भैया' | ||
नाचेगी फिर 'ता-ता थैया' | नाचेगी फिर 'ता-ता थैया' | ||
− | ग्वाल-बाल की टोली' | + | ग्वाल-बाल की टोली' |
तभी महाभारत ठनवाने | तभी महाभारत ठनवाने | ||
आ पहुँचे सब सखा सयाने | आ पहुँचे सब सखा सयाने | ||
घेर लिया जग की चिंता ने | घेर लिया जग की चिंता ने | ||
− | मन की गाँठ न खोली | + | मन की गाँठ न खोली |
द्वारिका में जब कोयल बोली | द्वारिका में जब कोयल बोली | ||
याद आ गयी मनमोहन को राधा की छवि भोली | याद आ गयी मनमोहन को राधा की छवि भोली | ||
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04:43, 22 जुलाई 2011 के समय का अवतरण
द्वारिका में जब कोयल बोली
याद आ गयी मनमोहन को राधा की छवि भोली
याद आ गईं प्यारी गायें
वृन्दावन के कुंज, लतायें
सोचा-- 'अबकी ब्रज में जायें
पुन: खेलने होली
'कितनी पुलक उठेगी मैया!
दौड़ मिलेंगे प्रिय 'बल भैया'
नाचेगी फिर 'ता-ता थैया'
ग्वाल-बाल की टोली'
तभी महाभारत ठनवाने
आ पहुँचे सब सखा सयाने
घेर लिया जग की चिंता ने
मन की गाँठ न खोली
द्वारिका में जब कोयल बोली
याद आ गयी मनमोहन को राधा की छवि भोली