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"स्वप्न में राधा पडी दिखाई / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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कानों में था वही मधुर स्वर
 
कानों में था वही मधुर स्वर
 
वही गंध अलकों की उड़कर  
 
वही गंध अलकों की उड़कर  
साँसों में लहरायी
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                      साँसों में लहरायी
 
 
 
 
 
राधा ने झुक चरण छू लिया  
 
राधा ने झुक चरण छू लिया  
 
फिर उनपर सिन्दूर धर दिया  
 
फिर उनपर सिन्दूर धर दिया  
 
मुड़कर अश्रु बहाती दुखिया  
 
मुड़कर अश्रु बहाती दुखिया  
गयी जिधर से आयी
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                    गयी जिधर से आयी
 
 
 
 
 
हरि करतल पर चिबुक टेककर  
 
हरि करतल पर चिबुक टेककर  
 
लगे सिसकने स्वप्न देखकर
 
लगे सिसकने स्वप्न देखकर
 
तारे डूबे एक-एककर
 
तारे डूबे एक-एककर
नभ में लाली छायी
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                      नभ में लाली छायी
  
 
स्वप्न में राधा पडी दिखाई
 
स्वप्न में राधा पडी दिखाई
 
पुलक उठ मनमोहन जैसे फिर खोयी निधि पायी
 
पुलक उठ मनमोहन जैसे फिर खोयी निधि पायी
 
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04:51, 22 जुलाई 2011 के समय का अवतरण


स्वप्न में राधा पडी दिखाई
पुलक उठ मनमोहन जैसे फिर खोयी निधि पायी
 
सम्मुख वही गौर मुख सुन्दर
कानों में था वही मधुर स्वर
वही गंध अलकों की उड़कर
                       साँसों में लहरायी
 
राधा ने झुक चरण छू लिया
फिर उनपर सिन्दूर धर दिया
मुड़कर अश्रु बहाती दुखिया
                     गयी जिधर से आयी
 
हरि करतल पर चिबुक टेककर
लगे सिसकने स्वप्न देखकर
तारे डूबे एक-एककर
                      नभ में लाली छायी

स्वप्न में राधा पडी दिखाई
पुलक उठ मनमोहन जैसे फिर खोयी निधि पायी