भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"स्वामी! यह क्या मन में आया / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल |संग्रह=सीता-वनवास / गुलाब खंडेल…)
(कोई अंतर नहीं)

05:06, 22 जुलाई 2011 का अवतरण


स्वामी! यह क्या मन में आया!
किसके हित साधन हित सीता को वनवास दिलाया

‘अबकी दोष न था दासी का
देना था न भारत को टीका
चोर न क्या प्रभु के ही जी का
                        दूत सामने लाया!

‘वज्र गिराया सुखी सदन में
 कैसे निष्ठुर बन कर क्षण में
 भेजी नाथ! सगर्भा वन में
                      प्रिया सुकोमल काया!

‘रामराज्य का यश इसमें ही
बलि को सदा मिली वैदेही
हम कैसे चुप रहें भले ही
                    जग मुँह खोल न पाया!’

स्वामी! यह क्या मन में आया!
किसके हित साधन हित सीता को वनवास दिलाया