भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"पथिक / भारत यायावर" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भारत यायावर |संग्रह=हाल-बेहाल / भारत यायावर }} रात-रात भ...)
 
 
पंक्ति 38: पंक्ति 38:
  
 
कभी तो भोर
 
कभी तो भोर
 +
 +
 +
(रचनाकाल : 1988)

21:34, 12 जुलाई 2007 के समय का अवतरण


रात-रात भर

बदरा रोए

मन को भिंगोए

भर गया तन का

पोरम-पोर


बिजली चमके

राह में थमके

खोज रहे हो अपना छोर


कहाँ है जाना

कहाँ से आना

किससे बँधी है डोर


चलना-चलना

ज़रा न डरना

आएगी ही

कभी तो भोर


(रचनाकाल : 1988)