भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"मेरी आँखों में जब तक नमी है / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Vibhajhalani (चर्चा | योगदान) |
Vibhajhalani (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 13: | पंक्ति 13: | ||
आदमी वह कोई आदमी है! | आदमी वह कोई आदमी है! | ||
− | आज उन सुर्ख़ | + | आज उन सुर्ख़ होँठों की फड़कन |
एक अहम बात पर आ थमी है | एक अहम बात पर आ थमी है | ||
प्यार कम तो नहीं है उधर भी | प्यार कम तो नहीं है उधर भी | ||
− | देखनेवाले | + | देखनेवाले! तुझमें कमी है |
− | रंग अच्छा गुलाब आपका हो | + | रंग अच्छा, गुलाब! आपका हो |
रंग पर यह महज़ मौसमी है | रंग पर यह महज़ मौसमी है | ||
<poem> | <poem> |
02:15, 12 अगस्त 2011 के समय का अवतरण
मेरी आँखों में जब तक नमी है
तेरी महफ़िल तभी तक जमी है
जो पराई जलन से न तड़पे
आदमी वह कोई आदमी है!
आज उन सुर्ख़ होँठों की फड़कन
एक अहम बात पर आ थमी है
प्यार कम तो नहीं है उधर भी
देखनेवाले! तुझमें कमी है
रंग अच्छा, गुलाब! आपका हो
रंग पर यह महज़ मौसमी है