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तुम न आए / अवनीश सिंह चौहान

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मन पराग-केसर कुम्हलाए
तुम न आए
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मन पराग-केसर कुम्हलाए
तुम न आए
 
सुरभित सुमन, गूँज भँवरे की
मन में कितने फूल बिछाए
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