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"ज़माने भर की निगाहों से टालकर लाये / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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23:02, 12 अगस्त 2011 के समय का अवतरण
ज़माने भर की निगाहों से टालकर लाये
हम उनके प्यार को कितना सँभालकर लाये!
हरेक लहर में क़यामत का शोर उठता था
किसी तरह से ये किश्ती निकालकर लाये
सभी को एक ही चितवन ने कर दिया ख़ामोश
यहाँ थे लोग भी क्या-क्या सवाल कर लाये!
वही हैं आप, वही हम हैं, वही हैं प्याले भी
नया कुछ और उन आँखों से ढालकर लाये
फ़िज़ा बहार की तुझसे ही सज रही है, गुलाब!
भले ही फूल कई मुँह भी लाल कर लाये