भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"बेकहे भी न रहा जाय, और क्या कहिये! / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल |संग्रह=कुछ और गुलाब / गुलाब खंडे…)
 
(कोई अंतर नहीं)

20:53, 17 अगस्त 2011 के समय का अवतरण


बेकहे भी न रहा जाय, और क्या कहिये!
प्यार इसको न कहा जाय, और क्या कहिये!

जो भी कहिये, यही लगता है कुछ भी कह न सके
और चुप भी न रहा जाय, और क्या कहिये!

दर्द अपना उन्हें ग़ज़लों में कह रहे हैं गुलाब
जिनसे यह भी न सहा जाय, और क्या कहिये!