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"हर इक बीमार को उपचार की नेमत नहीं मिलती / नवीन सी. चतुर्वेदी" के अवतरणों में अंतर

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21:50, 29 अगस्त 2011 का अवतरण

हरिक बीमार को उपचार की नेमत नहीं मिलती|
ये दुनिया है, यहाँ सर पे सभी के छत नहीं मिलती|१|

इधर बच्चे पिता के प्यार, माँ के दूध को तरसें|
उधर माँ-बाप को, औलाद से इज्ज़त नहीं मिलती|२|

शरीफ़ों की सियासत की विरासत की ये हालत है|
रियायत मिलती है, लेकिन कभी राहत नहीं मिलती|३|

हमें तो शाइरी में दोस्त का चेहरा दिखा हरदम|
सिवा इस के, कोई भी दूसरी सूरत नहीं मिलती|४|

तुम्हीं बोलो मेरे यारो, उसे महफिल कहें कैसे|
जहाँ पर शाइरों को, बा-अदब, इज्ज़त नहीं मिलती|५|

तरक्की किस तरह होगी भला उस मुल्क़ की प्यारे|
परिश्रम को, जहाँ, उस की सही क़ीमत नहीं मिलती|६|

जिसे देखो वही मशरूफ़ियत के गीत गाता है|
हमें भी दीन दुनिया से अधिक फुर्सत नहीं मिलती|७|