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"हर इक बीमार को उपचार की नेमत नहीं मिलती / नवीन सी. चतुर्वेदी" के अवतरणों में अंतर

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हरिक बीमार को उपचार की नेमत नहीं मिलती|<br />
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हरिक बीमार को उपचार की नेमत नहीं मिलती
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ये दुनिया है, यहाँ सर पे सभी के छत नहीं मिलती
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इधर बच्चे पिता के प्यार, माँ के दूध को तरसें
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हमें भी दीन दुनिया से अधिक फुर्सत नहीं मिलती|७|<br />
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हमें भी दीन दुनिया से अधिक फुर्सत नहीं मिलती</poem>

22:25, 29 अगस्त 2011 के समय का अवतरण

हरिक बीमार को उपचार की नेमत नहीं मिलती
ये दुनिया है, यहाँ सर पे सभी के छत नहीं मिलती

इधर बच्चे पिता के प्यार, माँ के दूध को तरसें
उधर माँ-बाप को, औलाद से इज्ज़त नहीं मिलती

शरीफ़ों की सियासत की विरासत की ये हालत है
रियायत मिलती है, लेकिन कभी राहत नहीं मिलती

हमें तो शाइरी में दोस्त का चेहरा दिखा हरदम
सिवा इस के, कोई भी दूसरी सूरत नहीं मिलती

तुम्हीं बोलो मेरे यारो, उसे महफिल कहें कैसे
जहाँ पर शाइरों को, बा-अदब, इज्ज़त नहीं मिलती

तरक्की किस तरह होगी भला उस मुल्क़ की प्यारे
परिश्रम को, जहाँ, उस की सही क़ीमत नहीं मिलती

जिसे देखो वही मशरूफ़ियत के गीत गाता है
हमें भी दीन दुनिया से अधिक फुर्सत नहीं मिलती