भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कैटवाक / अवनीश सिंह चौहान

4 bytes added, 09:06, 5 सितम्बर 2011
पढ़ी-पढ़ाई चिड़िया रानी
उघरी हुई देह से जादू
पलछिन पल-छिन करती चिड़िया रानी
पॉप धुनों पर गाती रहती
जब चाहे तब सींचा करती
अपने मन का बागबाग़
कितने उलझे दृश्य-कथा में
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,214
edits