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Kavita Kosh से
पढ़ी-पढ़ाई चिड़िया रानी
उघरी हुई देह से जादू
पॉप धुनों पर गाती रहती
जब चाहे तब सींचा करती
अपने मन का बागबाग़
कितने उलझे दृश्य-कथा में