भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"बड़े दिनों बाद / रमेश तैलंग" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रमेश तैलंग |संग्रह=इक्यावन बालगीत / रमेश तैलंग }}…) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 18: | पंक्ति 18: | ||
चिड़िया ने कंठ खोल | चिड़िया ने कंठ खोल | ||
ख़ूब चहचहाया | ख़ूब चहचहाया | ||
− | |||
सन्नाटा देखता रहा | सन्नाटा देखता रहा | ||
सकपकाया | सकपकाया |
09:56, 6 सितम्बर 2011 के समय का अवतरण
बड़े दिनों बाद खिला
गमले में फूल ।
रंग भरे मन में
उम्मीद नई जागी
बैठी थी अब तक
उदासी जो, भागी
चलो, किसी तरह झड़ी
जमी हुई धूल ।
चिड़िया ने कंठ खोल
ख़ूब चहचहाया
सन्नाटा देखता रहा
सकपकाया
चौकन्नी धूप
गई पर्दे पर झूल ।
बड़े दिनों बाद खिला
गमले में फूल ।