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"थारी भोळावण / कमल रंगा" के अवतरणों में अंतर

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(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कमल रंगा |संग्रह= }} {{KKCatMoolRajasthani‎}} {{KKCatKavita‎}}<poem>सुपनां रै …)
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सुपनां रै रंगां राच्योड़ी
बणी-ठणी थूं
कद बदल लियो भेख
ठाह ई नीं पड़ी
म्हैं तो अजैं ई ऊभो हूं
सागी भेख लिया
सागी उडीक
थारी भोळावण पाण।