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"अगर तुम वही हो जो तस्वीर में हो / पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र"" के अवतरणों में अंतर
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मुक्द्दर किसी का न जंजीर में हो | मुक्द्दर किसी का न जंजीर में हो | ||
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न पूछा किसी ने भी जिन्दे को पानी | न पूछा किसी ने भी जिन्दे को पानी | ||
बना मक्बरा उसकी तौकीर में हो | बना मक्बरा उसकी तौकीर में हो | ||
− | ये रौशन अगर | + | ये रौशन अगर थोड़ी दुनिया है"आज़र" |
तुझे क्या पता तेरी तन्वीर में हो | तुझे क्या पता तेरी तन्वीर में हो | ||
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11:41, 16 सितम्बर 2011 के समय का अवतरण
अगर तुम वही हो जो तस्वीर में हो
समझ लो लिखी मेरी तक्दीर में हो
सभी सांस लें हम यूं खुल के हवा में
मुक्द्दर किसी का न जंजीर में हो
लिखा मैंने खत हैं क्यूं उत्तर न आया
जरुरी नहीं उसकी तहरीर में हो
न पूछा किसी ने भी जिन्दे को पानी
बना मक्बरा उसकी तौकीर में हो
ये रौशन अगर थोड़ी दुनिया है"आज़र"
तुझे क्या पता तेरी तन्वीर में हो