भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"दिल लुभाती रही रात भर चांदनी / दिनेश त्रिपाठी 'शम्स'" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दिनेश त्रिपाठी 'शम्स' }} <poem> दिल लुभाती रही रात भर …)
 
 
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
 
|रचनाकार=दिनेश त्रिपाठी 'शम्स'
 
|रचनाकार=दिनेश त्रिपाठी 'शम्स'
 
}}
 
}}
 
+
{{KKCatGhazal}}
 
<poem>
 
<poem>
दिल लुभाती रही रात भर चांदनी ,
+
दिल लुभाती रही रात भर चांदनी  
मुस्कुराती रही रात भर चांदनी .
+
मुस्कुराती रही रात भर चांदनी  
जाने किस मीत के प्रीत का गीत ही ,
+
 
गुनगुनाती रही रात भर चांदनी .
+
जाने किस मीत के प्रीत का गीत ही  
द्वार पर देख तारों की बारात को ,
+
गुनगुनाती रही रात भर चांदनी  
बस लजाती रही रात भर चांदनी .
+
 
छोड़कर आ गयी नभ मगर भूमि पर ,
+
द्वार पर देख तारों की बारात को  
छटपटाती रही रात भर चांदनी .
+
बस लजाती रही रात भर चांदनी  
ताल पर जाल किरणों का ले के भला ,
+
 
 +
छोड़कर आ गयी नभ मगर भूमि पर  
 +
छटपटाती रही रात भर चांदनी  
 +
 
 +
ताल पर जाल किरणों का ले के भला  
 
क्या फंसाती रही रात भर चांदनी ?
 
क्या फंसाती रही रात भर चांदनी ?
 
</poem>
 
</poem>

21:27, 16 सितम्बर 2011 के समय का अवतरण

दिल लुभाती रही रात भर चांदनी
मुस्कुराती रही रात भर चांदनी

जाने किस मीत के प्रीत का गीत ही
गुनगुनाती रही रात भर चांदनी

द्वार पर देख तारों की बारात को
बस लजाती रही रात भर चांदनी

छोड़कर आ गयी नभ मगर भूमि पर
छटपटाती रही रात भर चांदनी

ताल पर जाल किरणों का ले के भला
क्या फंसाती रही रात भर चांदनी ?