भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"फासले कुछ कम हुए हैं /वीरेन्द्र खरे 'अकेला'" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Tanvir Qazee (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वीरेन्द्र खरे 'अकेला' |संग्रह=शेष बची चौथाई रा…) |
(कोई अंतर नहीं)
|
19:38, 23 सितम्बर 2011 के समय का अवतरण
फ़ासले कुछ कम हुए हैं
वो ज़रा से नम हुए हैं
प्यार के दो लफ़्ज़ तेरे
ज़ख़्म पर मरहम हुए हैं
साथ छोड़ा है ख़ुशी ने
दर्द अब हमदम हुए हैं
इश्क़ में देखा है मैंने
शोले भी शबनम हुए हैं
दो क़दम मंज़िल रही है
और हम बेदम हुए हैं