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"गोरी हथेली पर / तारादत्त निर्विरोध" के अवतरणों में अंतर

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खेल रहा बाल रवि
 
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कमसिन पहाड़िन की
 
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गोरी हथेली पर
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शिशु हो मचल रहा
 
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उलझे हैं तार-तार
 
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प्रेम की पहेली पर
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पंछियों के नीड़ों में
 
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उग आया शोर
 
उग आया शोर
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पर्वत की ओर
 
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यौवन का रंग चढ़ा
 
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निर्जन के गाँव की
 
निर्जन के गाँव की
गूंगी सहेली पर।
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गूंगी सहेली पर ।
 
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21:41, 24 सितम्बर 2011 के समय का अवतरण

ऊँची पहाड़ी पर
खेल रहा बाल रवि
कमसिन पहाड़िन की
गोरी हथेली पर ।

घेर में किरणों के
उछल रहा
जैसे गोद ममता की
लेने खिलौने को
शिशु हो मचल रहा
उलझे हैं तार-तार
प्रेम की पहेली पर ।

पंछियों के नीड़ों में
उग आया शोर
चढ़ रही है "सीढ़ियाँ"
पर्वत की ओर
यौवन का रंग चढ़ा
निर्जन के गाँव की
गूंगी सहेली पर ।