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"कामयाबी के भरोसे गिन रहा हूँ / पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र"" के अवतरणों में अंतर

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कामयाबी  के  भरोसे  गिन  रहा  हूँ
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आसमाँ के सब  सितारे  गिन रहा हूँ
  
कामयाबी के भरोसे  गिन  रहा  हूं
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पावं से अपने मसल कर फ़ूल को अब
आसमां के सब  सितारे  गिन रहा हूं
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घाव तलवों के मैं ,अपने गिन रहा हूँ
  
पावं से अपने मसल कर फ़ूल को अब
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वो   गवाही देगा  मेरे पक्ष में ही
घाव तलवों  के मैं ,अपने गिन रहा हूं
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और भी अहसाँ हैं  उसके गिन रहा हूँ
 
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फ़ासला  है  दरमियाँ  में  बेरुखी का   
 
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मैं तुम्हारे  सब  इशारे गिन रहा हूं
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भीड़ में "आज़र"  कहां गुम हो गए हो
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भीड़ में "आज़र"  कहाँ  गुम हो गए हो
लौटने  के दिन तुम्हारे गिन रहा हूं
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लौटने  के   दिन तुम्हारे गिन रहा हूँ
  
 
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04:28, 3 अक्टूबर 2011 के समय का अवतरण

कामयाबी के भरोसे गिन रहा हूँ
आसमाँ के सब सितारे गिन रहा हूँ

पावं से अपने मसल कर फ़ूल को अब
घाव तलवों के मैं ,अपने गिन रहा हूँ

वो गवाही देगा मेरे पक्ष में ही
और भी अहसाँ हैं उसके गिन रहा हूँ

फ़ासला है दरमियाँ में बेरुखी का
मैं तुम्हारे सब इशारे गिन रहा हूँ

भीड़ में "आज़र" कहाँ गुम हो गए हो
लौटने के दिन तुम्हारे गिन रहा हूँ