भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"म्हैं बड़भागी खरो, पण जोर कांई / सांवर दइया" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सांवर दइया |संग्रह=आ सदी मिजळी मरै /...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
20:20, 16 अक्टूबर 2011 के समय का अवतरण
म्हैं बड़भागी खरो, पण जोर कांई
म्हैं दीवो म्हारी उमर भोर तांई
थां जोगो हूं’क नईं, थे ई जाणो
पग देख रोवूं, नाचूं मोर दांई
जद देखूं लेणायत ऊभा लाधै
घरां आवूं-जावूं म्हैं चोर दांई
धरती हरी हुई तो बा जाणै
म्हैं आया अर बरस्या लोर दांई
बीं हेत बीं अपणायत खातर आज
भटकै मन-राम शबरी बोर दांई