भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"बहुतायत की आंधी में / निशान्त" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निशान्त |संग्रह= }} {{KKCatKavita‎}}<poem>जवानी क...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

05:10, 18 अक्टूबर 2011 के समय का अवतरण

जवानी की दहलीज पर
खिंचाई थी जो फोटो
किसी तरह
सुरक्षित है आज भी घर में
लेकिन शेष जो सैंकड़ों
खिंचाई गई आज तक
बची नहीं एक भी
बहुतायत की आँधी में
उड़ गई सब
यही क्यों
कितनी ही तो
अच्छी चीजें थी घर में
मसलन
किताबें
पत्रिकाएँ
डायरियाँ
चिट्ठियाँ
जिन्हें सम्भाल नहीं पाए हम
यह तो कहानी है
एक घर की
मुझे लगता है
देश
और
देश के बाहर भी
दुहराई जा रही है
यह कहानी
हर कहीं।