भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"आखर री औकात, पृष्ठ- 37 / सांवर दइया" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सांवर दइया |संग्रह=आखर री औकात / सां...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

20:51, 21 अक्टूबर 2011 के समय का अवतरण

म्हे जो कीं थारां
करां, कुण बरजै
बोलै तो मारां
०००

होठां पै ताळा
गळो टूंपता हाथ
ऐ दिन काळा
०००

नमो है थांनै
उडण री छूट द्यो
पंख काट’र
०००

कंठ अमूजै
जुगां सूं छाती माथै
भूख रा धोरा
०००

अंधार धुप्प
स्सो कीं गमग्यो तो ई
चौफेर चुप्प
०००