भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"रेत / कन्हैया लाल भाटी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कन्हैया लाल भाटी }} [[Category:मूल राजस्था...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(कोई अंतर नहीं)

12:44, 23 अक्टूबर 2011 का अवतरण

आखी रात
बरसतो रैयो आभौ
आखी रात
घुळती रैयी रेत।

आखी रात
पचतो रैयो हाळी
आखी रात
महकती रैयी रेत।

आखी रात
हाळी बीजतो रैयो बीज
आखी रात
उथळ-पुथळ मचावती रैयी रेत।

परभातियै तारै सूं
थोड़ो’क सांत हुयो आभो
परभातियै तारै सूं पैली
सुपनो देखती रैयी रात।

भखावटै-भखावटै
आय उमट्‌यो कागलां रो टोळो।
बैवती रैयी रेत
रेत अर पाणी रै साथै बैयग्या सगळा।