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*''' [[हवाएँ चुप नहीं रहतीं / वेणु गोपाल]]''' (कविता संग्रह)
 
*''' [[हवाएँ चुप नहीं रहतीं / वेणु गोपाल]]''' (कविता संग्रह)
 
*''' [[चट्टानों का जलगीत / वेणु गोपाल]]''' (कविता संग्रह)
 
*''' [[चट्टानों का जलगीत / वेणु गोपाल]]''' (कविता संग्रह)
 
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*''' [[देख्ना भी चाहूँ / वेणु गोपाल]]
 
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*''' [[अंधेरा मेरे लिए / वेणु गोपाल]]
 
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*''' [[उजाला ही उजाला / वेणु गोपाल]]
 
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*''' [[सिलसिले का चेहरा / वेणु गोपाल]]
 
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देखना भी चाहूं
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तो क्या देखूं !
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कि प्रसन्नता नहीं है प्रसन्न
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उदासी नहीं है उदास
+
और दुख भी नहीं है दुखी
+
क्या यही देखूं ? -
+
कि हरे में नहीं है हरापन
+
न लाल में लालपन
+
न हो तो न सही
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कोई तो ÷ पन' हो
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जो भी जो है
+
वही ÷ वह' नहीं है
+
 
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बस , देखने को यही है
+
और कुछ नहीं है ᄉ
+
हां, यह सही है
+
कि जगह बदलूं
+
तो देख सकूंगा
+
भूख का भूखपन
+
प्यास का प्यासपन
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चीख का चीखपन
+
और चुप्पी का चुप्पीपन
+
वहीं से
+
देख पाऊंगा ᄉ
+
दुख को दुखी
+
सुख को सुखी
+
उदासी को उदास
+
और
+
प्रसन्नता को प्रसन्न
+
और
+
अगर जरा सा
+
परे झांक लूं
+
उनके
+
तो
+
हरे में लबालब हरापन
+
लालपन भरपूर लाल में
+
 
+
जो भी जो है ,
+
वह बिल्कुल वही है
+
 
+
देखे एक बार
+
तो देखते ही रह जाओ!
+
 
+
जो भी हो सकता है
+
कहीं भी
+
वह सब का सब
+
वही है
+
 
+
इस जगह से नहीं
+
उस जगह से दिखता है
+
 
+
देखना चाहता हूं
+
तो
+
पहले मुझे
+
जगह बदलनी होगी।
+
 
+
 
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अंधेरा मेरे लिए  
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रहती है रोशनी
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लेकिन दिखता है अंधेरा
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तो
+
कसूर
+
अंधेरे का तो नहीं हुआ न!
+
और
+
न रोशनी का!
+
किसका कसूर?
+
जानने के लिए
+
 
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आईना भी कैसे देखूं
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कि अंधेरा जो है
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मेरे लिए
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रोशनी के बावजूद!
+
 
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+
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+
 
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+
उजाला ही उजाला  
+
 
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आ गया था ऐसा वक्त
+
कि भूमिगत होना पड़ा
+
अंधेरे को
+
 
+
नहीं मिली
+
कोई
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सुरक्षित जगह
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उजाले से ज्यादा।
+
 
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छिप गया वह
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उजाले में कुछ यूं
+
कि शक तक नहीं
+
हो सकता किसी को
+
कि अंधेरा छिपा है
+
उजाले में।
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जबकि
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फिलहाल
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चारों ओर
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उजाला ही अजाला है!
+
 
+
 
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+
 
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सिलसिले का चेहरा  
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बेजोड़ में
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झलक रहा है
+
सिलसिले का चेहरा
+
 
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जब कि
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बेजोड़ खुद क्या है
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सिवाय
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सिलसिले की एक कड़ी के!
+
 
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इस तरह होता है स्थापित
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महत्व
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परम्परा का।
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23:56, 17 सितम्बर 2007 का अवतरण

वेणु गोपाल की रचनाएँ

वेणु गोपाल
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जन्म 22 अक्तूबर 1942
निधन
उपनाम
जन्म स्थान करीमनगर आन्ध्रप्रदेश, भारत
कुछ प्रमुख कृतियाँ
वे हाथ होते हैं (1972), हवाएँ चुप नहीं रहतीं (1980), चट्टानों का जलगीत (1980)--
विविध
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जीवन परिचय
वेणु गोपाल / परिचय
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