भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मेरे अल्फ़ाज़ - एक नज़्म / श्रद्धा जैन" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= श्रद्धा जैन }} {{KKCatNazm}} <poem> वो हसरतें जो ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

12:05, 16 नवम्बर 2011 के समय का अवतरण

वो हसरतें
जो तुम तक पहुँचने से पहले
रास्ते में ही दम तोड़ गयीं

वो बेबसियाँ और ख़ामोशियाँ
जिन से तुम उम्र भर
रहे गाफ़िल

ख़्वाब ओ ख़याल
मैंने बुन दिए हैं
ग़ज़लों में और
नज्मों में.......

ये अलफ़ाज़ नहीं
छोटी-छोटी कब्रें हैं
जिनमें दफ़्न है
वो सारी बातें
जो कभी मेरे दिल से
बाहर नहीं आई