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"कुछ न पाया दोस्ती या दुश्मनी की शक्ल में / मनु भारद्वाज" के अवतरणों में अंतर
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कुछ न पाया दोस्ती या दुश्मनी की शक्ल में
मौत ने धोका दिया है ज़िन्दगी की शक्ल में
मेरे अशकों ने मुझे कब होश में आने दिया
होश आया है अगर तो बेखुदी की शक्ल में
यूँ तो दुनिया से मुझे नफरत मिली, धोका मिला
प्यार तूने भी जताया, दिल्लगी की शक्ल में
मै उसे अपना समझ बैठा मगर वो ग़ैर था
मिल गया था कल मुझे वो आप ही की शक्ल में
कर लिया मुझको हमेशा के लिए अपना 'मनु'
ग़म मिला था एक दिन मुझको ख़ुशी की शक्ल में