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"कितना नाशुक्रा हूँ / नंदकिशोर आचार्य" के अवतरणों में अंतर

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13:18, 1 दिसम्बर 2011 के समय का अवतरण

  
गहरी हरी छतरी-सा
              खुला छतनार
ले लेता अपनी छाया में
              मुझ को ।

कितना नाशुक्रा हूँ पर मैं
घने-घने साए में उसके बैठ
याद करता हूँ
फिर तुम को !

26 अगस्त 2009