भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
इस हेमन्ती अन्धकार में
जब
अलाव हैं तुम्हारी यादेंयादें—
देतीं आलोकित ऊष्मा
शब्दों को मेरे