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"अगनित जग से चले जा रहे / शिवदीन राम जोशी" के अवतरणों में अंतर
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अगनित जग से चले जा रहे। | अगनित जग से चले जा रहे। | ||
कर विवेक देख तो मनडा, बुरे जा रहे भले जा रहे। | कर विवेक देख तो मनडा, बुरे जा रहे भले जा रहे। |
09:43, 9 दिसम्बर 2011 का अवतरण
अगनित जग से चले जा रहे।
कर विवेक देख तो मनडा, बुरे जा रहे भले जा रहे।
कायम नहीं मुकाम जगत में, भजले रे मन राम जगत में,
नाता संत सजन का सच्चा, विघ्न अनेकों टले जा रहे।
राम नाम शुभ नाम निरंतर, सत्य नाम सियाराम हरि हर,
बेटा पोता काम न आवे, अंत आंख दो मले जा रहे।
धनबल जनबल व्यर्थ अकलबल, तनबल झूंठा जाय सकलबल,
राम नाम बल पार लगावे, बाकी योधा हिले जा रहे।
कहे शिवदीन समझ मन मेरा बनिहों संत चरन का चेरा,
राम नाम हिरदय धरि देखो, खलजन फांसी घले जा रहे।