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"क़द्र रखती न थी मता-ए-दिल / मीर तक़ी 'मीर'" के अवतरणों में अंतर

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सारे आलम को मैं दिखा लाया<br><br>
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दिल के इक क़तरा खूँ नहीं है बेश <br>
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उस को ये नातवाँ<sup>4</sup> उठा लाया<br><br>
  
 
दिल मुझे उस गली में ले जाकर <br>
 
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इश्क़ की कौन इंतिहा लाया<br><br>
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इश्क़ की कौन इंतिहा<sup>6</sup> लाया<br><br>
  
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फिर मिलेंगे अगर खुदा लाया
 
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1-दुनिया
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3-अभाव
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4-दुर्बल
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5-शुरुआत,पहल
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6-अंत
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7-मंदिर,प्रेयसी का घर

01:09, 11 दिसम्बर 2011 के समय का अवतरण

क़द्र रखती न थी मता-ए-दिल
सारे आलम1 को मैं दिखा लाया

दिल के इक क़तरा2 खूँ नहीं है बेश
एक आलम के सर बला लाया

सब पे जिस बार ने गिरानी3 की
उस को ये नातवाँ4 उठा लाया

दिल मुझे उस गली में ले जाकर
और भी खाक में मिला लाया

इब्तिदा5 ही में मर गए सब यार
इश्क़ की कौन इंतिहा6 लाया

अब तो जाते हैं बुतकदे7 से मीर
फिर मिलेंगे अगर खुदा लाया

1-दुनिया 2-बूंद 3-अभाव 4-दुर्बल 5-शुरुआत,पहल 6-अंत 7-मंदिर,प्रेयसी का घर