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"बाढ़ १९७५ / रमेश रंजक" के अवतरणों में अंतर

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बादल बरस रहे बचकाने
 
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आँख मूँद कर दिए जा रहे
 
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                पर्वत को सिरहाने
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बादल बरस रहे बचकाने
 
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करता-फिरता है मनमानी
 
करता-फिरता है मनमानी
 
बीन-बीन कर गाँव गिराए
 
बीन-बीन कर गाँव गिराए
                  छोड़े राजघराने  
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सारे नियम किए मटमैले
 
सारे नियम किए मटमैले
 
बिल से निकले साँप विषैले
 
बिल से निकले साँप विषैले
 
ऊपर मौन पखेरू, नीचे
 
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11:59, 13 दिसम्बर 2011 का अवतरण

बादल बरस रहे बचकाने
आँख मूँद कर दिए जा रहे
              पर्वत को सिरहाने
बादल बरस रहे बचकाने

यह लम्पट आवारा पानी
करता-फिरता है मनमानी
बीन-बीन कर गाँव गिराए
               छोड़े राजघराने

सारे नियम किए मटमैले
बिल से निकले साँप विषैले
ऊपर मौन पखेरू, नीचे
              ठंडे हैं अगिहाने<ref>देशज शब्द है, जिसका मतलब है चूल्हा या अग्निस्थान</ref>

बादल बरस रहे बचकाने

शब्दार्थ
<references/>