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"रूमाल / रघुवीर सहाय" के अवतरणों में अंतर
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− | उस से | + | उस से मैंने जूता नाक पसीना और क़लम की निब |
− | + | पोंछी थी । | |
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02:11, 19 दिसम्बर 2011 के समय का अवतरण
वह मेरा रूमाल कहाँ है ?
कहाँ रह गया ?
कहीं उसे मैं छोड़ न आया हूँ कुर्सी पर ? वह कितना
मैला था
उस से मैंने जूता नाक पसीना और क़लम की निब
पोंछी थी ।