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"बाँध कर इरादे / रमेश रंजक" के अवतरणों में अंतर

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बाँहों भर तोड़ कर क़सम
 
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गीतों के रेशमी नियम जैसे
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गीतों के रेशमी नियम जैसे—
 
वैसे ही टूट गए हम
 
वैसे ही टूट गए हम
  

12:09, 24 दिसम्बर 2011 के समय का अवतरण

मुट्ठी भर बाँध कर इरादे
बाँहों भर तोड़ कर क़सम
गीतों के रेशमी नियम जैसे—
वैसे ही टूट गए हम

यह जीवन
धूप का कथानक था
रातों का चुटकला न था
पर्वत का
मंगलाचरण था यह
पानी का बुलबुला न था

आँगन का आयतन बढ़ाने
बढ़ने दो-चार सौ क़दम
हमने दीवार की तरह तोड़ी
परदों की साँवली शरम
मुट्ठी भर बाँध कर इरादे