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"अपमान / भवानीप्रसाद मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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अपमान का
 
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इतना असर
 
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मत होने दो अपने ऊपर
 
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सदा ही
 
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और सबके आगे
 
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कौन सम्मानित रहा है भू पर
 
कौन सम्मानित रहा है भू पर
 
 
  
 
मन से ज्यादा
 
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तुम्हें कोई और नहीं जानता
 
तुम्हें कोई और नहीं जानता
 
 
उसी से पूछकर जानते रहो
 
उसी से पूछकर जानते रहो
 
 
  
 
उचित-अनुचित
 
उचित-अनुचित
 
 
क्या-कुछ
 
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हो जाता है तुमसे
 
हो जाता है तुमसे
 
 
  
 
हाथ का काम छोड़कर
 
हाथ का काम छोड़कर
 
 
बैठ मत जाओ
 
बैठ मत जाओ
 
 
ऐसे गुम-सुम से !
 
ऐसे गुम-सुम से !

09:06, 1 जनवरी 2012 का अवतरण

अपमान का इतना असर मत होने दो अपने ऊपर

सदा ही और सबके आगे कौन सम्मानित रहा है भू पर

मन से ज्यादा तुम्हें कोई और नहीं जानता उसी से पूछकर जानते रहो

उचित-अनुचित क्या-कुछ हो जाता है तुमसे

हाथ का काम छोड़कर बैठ मत जाओ ऐसे गुम-सुम से !