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"क्या हुआ जो बावफ़ा जल्लाद तेरे साथ हैं / बल्ली सिंह चीमा" के अवतरणों में अंतर
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तू खड़ा है सामने ख़ंजर लिए इक हाथ में, | तू खड़ा है सामने ख़ंजर लिए इक हाथ में, |
20:49, 14 जनवरी 2012 का अवतरण
क्या हुआ जो बावफ़ा जल्लाद तेरे साथ हैं ।
ग़म नहीं कुछ अब करोड़ों लोग मेरे साथ हैं ।
तू खड़ा है सामने ख़ंजर लिए इक हाथ में,
फिर भी मैं तन कर चलूँगा लोग मेरे साथ हैं ।
आ गया जिनकी समझ तेरी अमीरी का ये राज़,
वो अभावों में पले सब लोग मेरे साथ हैं ।
एक दिन मुड़ जाएँगी तेरी तरफ़ यह सोच ले,
नासमझ जो भी बन्दूकें आज तेरे साथ हैं ।
रोज़ करता है फ़ना तू गीत मेरे फिर भी देख,
हाथ में परचम लिए कुछ गीत मेरे साथ हैं ।