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"अपना सा हर शख्स हुआ है /वीरेन्द्र खरे 'अकेला'" के अवतरणों में अंतर
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− | + | अपना सा हर शख़्स हुआ है | |
− | + | ये कैसा उन्माद जगा है | |
− | + | सुख से है सौतेला रिश्ता | |
− | + | दुख जीवन का भाई सगा है | |
− | + | शिक्षा के प्रति देख समर्पण | |
− | + | वज़नी बच्चे से बस्ता है | |
− | + | आ मालूम करें असलीयत | |
− | + | बैनर का उन्वान भला है | |
− | + | अगला दिन अच्छा गुज़रेगा | |
− | + | हर दिन ये अनुमान मरा है | |
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18:56, 17 जनवरी 2012 के समय का अवतरण
अपना सा हर शख़्स हुआ है
ये कैसा उन्माद जगा है
सुख से है सौतेला रिश्ता
दुख जीवन का भाई सगा है
शिक्षा के प्रति देख समर्पण
वज़नी बच्चे से बस्ता है
आ मालूम करें असलीयत
बैनर का उन्वान भला है
अगला दिन अच्छा गुज़रेगा
हर दिन ये अनुमान मरा है