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"जब वो महवे-ग़ज़ल रहे होंगे / मनु भारद्वाज" के अवतरणों में अंतर

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02:47, 24 जनवरी 2012 के समय का अवतरण

जब वो महवे-ग़ज़ल रहे होंगे
कितने अरमाँ मचल रहे होंगे

शे'र होंठों को चूमता होगा
अश्क़ आँखों से ढल रहे होंगे

याद माज़ी की आ रही होगी
तीर से दिल पे चल रहे होंगे

मेरी यादों के जिस्म को छूकर
उनके एहसास जल रहे होंगे

दिल के पत्थर भी रो रहा होगा
मोम बनके पिघल रहे होंगे

देखकर सामने 'मनु' मुझको
उनके माथे पे बल रहे होंगे