भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"मरने नहीं देते मुझे हालात वगरना / मनु भारद्वाज" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Manubhardwaj (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मनु भारद्वाज |संग्रह= }} {{KKCatGhazal}} <Poem> म...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
02:48, 24 जनवरी 2012 के समय का अवतरण
मरने नहीं देते मुझे हालात वगरना
मैं छोड़ देता ज़िन्दगी का साथ वगरना
महफ़िल में मेरे सामने खुलकर रोइए
चेहरे पे उभर आयेंगे जज़्बात वगरना
दिल टूटने के बाद भी आँसू नहीं गिरे
ले जाती बहाकर तुम्हें बरसात वगरना
तुमने ही जाते-जाते सभी ख़त जला दिए
कट जाती मेरी चैन से हर रात वगरना
ऐ वक़्त ! मुझे कोई सहारा नहीं मिला
मैं तुझको दिखाता तेरी औक़ात वगरना
हमने भी नुमाइश न करी अपने दर्द की
दुनिया तो बना देती है सौ बात वगरना
खैरात का फ़न हमने 'मनु' सीखा नहीं था
हम पा ही जाते ऐश की सौगात वगरना